नेल्सन मंडेला की जीवनी
नेल्सन मंडेला की जीवनी
नाम: नेल्सन रोलीह्लला मंडेला
जन्म: 18 जुलाई 1918
जन्म स्थान: म्वेज़ो गांव, ट्रांस्की, दक्षिण अफ्रीका
निधन: 5 दिसंबर 2013
उपाधि: "मदीबा" (आदर सूचक नाम)
कार्य: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति (1994-1999), स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, मानवाधिकार कार्यकर्ता
प्रारंभिक जीवन
नेल्सन मंडेला का जन्म एक थेम्बू जनजाति के शाही परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम 'नेल्सन रोलीह्लला मंडेला' था। 'रोलीह्लला' का अर्थ है 'मुसीबत खड़ी करने वाला'। मंडेला के पिता एक स्थानीय नेता थे, लेकिन उनका बचपन साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता।
मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी में की। हालाँकि, उन्होंने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया क्योंकि वे विश्वविद्यालय में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए थे।
स्वतंत्रता संग्राम और जेल जीवन
मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) के सदस्य के रूप में 1944 में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की। उन्होंने 1950 के दशक में रंगभेद नीति (Apartheid) के खिलाफ आंदोलन चलाया। रंगभेद नीति के तहत अश्वेत नागरिकों को सफेद नागरिकों से अलग रखा जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था।
1961 में, मंडेला ने उमकोंटो वी सिज़वे (MK) नामक एक सशस्त्र संगठन की स्थापना की, जो रंगभेद शासन के खिलाफ हिंसात्मक प्रतिरोध करने के लिए था। 1962 में, मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 27 वर्षों के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
उनका अधिकांश समय रोबेन द्वीप की जेल में बीता, जहाँ उन्हें कठोर परिस्थितियों में रखा गया। लेकिन जेल में रहते हुए भी, मंडेला ने पढ़ाई जारी रखी और अन्य कैदियों को शिक्षित करने का कार्य किया।
रिहाई और राष्ट्रपति बनने का सफर
फरवरी 1990 में, अंतर्राष्ट्रीय दबाव और देशव्यापी संघर्ष के कारण, नेल्सन मंडेला को जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद, उन्होंने शांति और सुलह का संदेश दिया। मंडेला ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस का नेतृत्व किया और 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में भाग लिया।
27 अप्रैल 1994 को, नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनकी सरकार ने नस्लीय समानता, गरीबी उन्मूलन, और मानवाधिकारों की बहाली के लिए कई नीतियाँ बनाई।
पुरस्कार और सम्मान
नेल्सन मंडेला को उनके संघर्ष और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (1993) से सम्मानित किया गया। उन्हें विभिन्न देशों में कई सम्मान और उपाधियाँ मिलीं।
प्रमुख पुरस्कार
- नोबेल शांति पुरस्कार (1993)
- भारत रत्न (1990)
- संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार पुरस्कार (1988)
निजी जीवन और मृत्यु
नेल्सन मंडेला का निजी जीवन भी संघर्षों से भरा रहा। उनकी तीन शादियाँ हुईं और उनके कुल छह बच्चे थे। उनके जीवन का बड़ा हिस्सा समाज की सेवा और संघर्ष में व्यतीत हुआ।
5 दिसंबर 2013 को लंबी बीमारी के बाद जोहान्सबर्ग में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु पर दुनिया भर में शोक व्यक्त किया गया और उन्हें शांति के प्रतीक के रूप में याद किया गया।
विरासत
नेल्सन मंडेला को आज भी विश्व के सबसे महान नेताओं में से एक माना जाता है। उनकी संघर्षशील जीवनगाथा ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। मंडेला का जीवन एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और मानवता के प्रति अटूट विश्वास से दुनिया को बदल सकता है।
उन्होंने एक बार कहा था "मैंने यह महसूस किया है कि साहस डर की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि डर पर विजय पाना है।"
नेल्सन मंडेला की विरासत हमें मानवता, समानता और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। उनकी जीवनी हमें सिखाती है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, दृढ़ निश्चय और साहस से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
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